मुंबई मोनोरेल हादसा: आधी रात के अभियान में 700+ यात्रियों को बचाया गया

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मुंबई मोनोरेल खराबी: बारिश के बीच 700 से ज्यादा यात्री फंसे

घटनाएँ

मुंबई में मंगलवार शाम भारी बारिश के दौरान दो मोनोरेल ट्रेनें खराब हो गईं, जिससे 700 से अधिक यात्री फंस गए। राहत कार्य तुरंत शुरू किए गए। एक ट्रेन मैसूर कॉलोनी (चेंबूर) के पास और दूसरी आचार्य अत्रे और वडाला मोनोरेल स्टेशन के बीच रुक गई।

पहली खराबी: चेंबूर

पहली घटना में 582 यात्रियों को लेकर जा रही मोनोरेल मैसूर कॉलोनी और भक्ति पार्क के बीच रुक गई।

  • कारण: मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) के अनुसार, ट्रेन में अधिक भीड़ होने से उसका वजन 104 टन की क्षमता से ज़्यादा हो गया, जिससे बिजली आपूर्ति ठप हो गई।

  • प्रभाव: बिजली बंद होने से एयर कंडीशनिंग भी रुक गई, जिससे यात्रियों को घुटन महसूस होने लगी।

  • बचाव: पुलिस, फायर ब्रिगेड और इंजीनियर मौके पर पहुंचे। खिड़कियां तोड़कर यात्रियों को बाहर निकाला गया और तीन हाइड्रॉलिक सीढ़ियों से उन्हें सुरक्षित उतारा गया। 23 यात्रियों को सांस लेने में तकलीफ हुई, जिनमें से कुछ को अस्पताल भेजा गया, जबकि बाकियों का वहीं इलाज किया गया।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि हार्बर लाइन बंद होने से ज्यादा यात्री मोनोरेल से यात्रा कर रहे थे, जिससे भीड़ बढ़ी और बिजली की समस्या हुई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना की जांच के आदेश दिए और सभी यात्रियों की सुरक्षा का भरोसा दिलाया।

दूसरी खराबी: वडाला

लगभग एक घंटे बाद, दूसरी मोनोरेल करीब 200 यात्रियों के साथ आचार्य अत्रे और वडाला स्टेशन के बीच रुक गई।

  • बचाव: इस ट्रेन को खींचकर वडाला स्टेशन लाया गया, जहां सभी यात्रियों को सुरक्षित उतार दिया गया।

यात्रियों के बयान

कई यात्रियों ने बताया कि ट्रेन में घुटन सबसे बड़ी समस्या थी।

  • बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान हुए।

  • एक यात्री ने दावा किया कि ट्रेन में लगभग 500 लोग सवार थे और बचाव अभियान शुरू होने में लगभग एक घंटा लग गया।

मुंबई की बारिश

ये घटनाएँ मुंबई में लगातार हो रही भारी बारिश के बीच हुईं, जिसने दो दिनों से जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जलभराव से सड़कें डूब गईं और वाहन फंस गए।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बुधवार को मुंबई में बहुत भारी बारिश की चेतावनी (रेड अलर्ट) जारी की है। यह स्थिति एक बार फिर शहर की हर साल की मानसून से जुड़ी चुनौतियों को दर्शाती है।

Rekha Negi

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